सोमवार, 19 दिसंबर 2016

एक सैनिक -
उसकी आँखों में सारा हिन्दुस्तान दिखता है
उसका जमीर उन नेताओं सा नहीं है
जो खुलेआम चौराहों पे बिकता है|

उस नीदी आँखों को लेके एकटक किसी मुल्क की तरफ देखना
बन्दूखो की गर्माहट के बीच अपनी आखो को सेंकना
अपनी सारी मजबूरियों को सीने से निकाल के फेंकना
उसकी बर्दी का रंग जो उसे सबसे प्यारा लगता है
वही वो कपड़ा है जिसमे वो सबसे अच्छा दिखता है
मुल्क सो रहा है चैन से इससे उसे सुकून सा मिलता है
अपने मुल्क की तरक्की में उसका चहेरा फूल सा खिलता है
वो एक सैनिक ही है
जो मौत से भी हसकर के मिलता है
हसकर के मिलता है |
एकटक लगातार एक तरफ देखना
ख्याल घर का आये फिर भी मुल्क के लिए सोचना
उसकी माँ, उसकी बीवी , उसके बच्चे
उसके जहन में कुछ ऐसे आते है
की फिर आँखों से आँसू खुद बखुद निकल आते है |
कभी याद आ जाती है उसको माँ की वो बात
बेटा कभी रहा भी कर बहु और बच्चो के साथ
माँ की बातो का वो जवाब नहीं दे पाता
कौन सा वक्त इस दुनिया में आखिरी है उसका
वो खुद नहीं समझ आता
खुद नहीं समझ आता |


शनिवार, 17 दिसंबर 2016

बेटे भी होते हैं विदा

कौन कहता हैं की बस बेटियाँ विदा होती हैं
बेटे भी हो जो जाते हैं विदा एक दिन
मां के हाथ में एक कागज का टुकड़ा देकर
जिसमे उनका नंबर सा लिखा हैं कुछ
बूढ़ी आँखों को दे जाते हैं एक दिलासा
सेट होने पे जल्दी पास बुला लेने की आशा |
बेटे के कमरे से अब आवाज नहीं आती गाने की  
कमरे में कुछ तस्वीरे हैं कुछ अंग्रेजी टाइप की
अक्सर उनके बातो की आवाज सुनाई देती हैं |
वो अंग्रेजी गानों की कैसेट जिनको
माँ कभी फेंक दिया करती थी घर से
आज उन्ही को साज साज के रखती हैं अपने कर से |
दो रैकेट भी रखे हैं घर में और एक बैट सा भी हैं
घर की छत में पडी पडी कुछ धुंधली धुंधली दिखती हैं
साइकिल उसकी पिताजी वाली धुप में सिकती रहती हैं |
एक पुरानी बाइक जिसको जिद करके मंगवाया था
कितनी बार उधारी में फिर पापा ने बनवाया था
ढाक दी माँ ने उसको भी बस एक पुराने चद्दर से
देख के उसको माँ मुस्काए बस कमरे के अन्दर से |

कोई दोस्त जो उसका कभी आ जाये तो पापा खुश हो जाते हैं
उसकी कुछ बाते उसे फिर हसके वो बतलाते हैं |

बेटी तो जाती हैं क्युकी होती हैं वो पराया धन
गर जो बीटा चला गया तो सूना हो जाता हैं मन

             ............अम्ब्रेश 

एक सैनिक की वो भावना जब वो घर जा रहा हो और अचानक उसकी छुट्टी कैंसिल हो जाए |

सैनिक की दास्तान –
हर चीजो का वो हिसाब सा लगा रहा था
जूते ले लिए , कपडे ले लिए ,बच्चो का सामान ले लिया
उनको झोले में रखकर वो कागज में निशान लगा रहा था
खुश हो भी क्यों न वो आखिर इतना
आज वो फौजी घर जो जा रहा था |
उसकी ख़ुशी का कोई ठिकाना ना था जैसे
खुश तो ऐसा था जैसे कभी घर ना गया हो जैसे
उसके बच्चो का चहेरा बार बार उसके सामने आता है
हाथो में लेके वो अपनी घर जाने की टिकट
मन ही मन बहुत मुस्काता है |
पूरे साल भर हो गए उसे अपने घर गए हुए
वक्त कितना हो गया उस छोटे बच्चे को देखे हुए
उसकी बीवी उसके बच्चो के किस्से बताती है
छोटा वाला तो बोलना सीख रहा है , उसकी बीवी उसे रोज ये सुनाती है |
सपनो को आँखों में टिकट को हाथो में लेके
अचानक उसकी आँख सी लग जाती है
सुबह उठ के देखा तो हर तरफ एक हलचल नजर आती है |
अब हल्की सी उसके कानो में आवाज सी आती है
अब जाके हमले वाली खबर उसे समझ में आती है
सारे जवानों की छुट्टियां रद्द की जाती है
ऐसी खबर अचानक से पूरे देश में फ़ैल जाती है |
वो दिन आ गया जिसके लिए वो यहाँ आया था
बस पलट के उसकी नजर उस झोले में जाती है
देखा जो उसको तो आँखे उसकी भर आती है |
फिर भी अपने जज्बातों को संभाल कर वो बन्दूक उठाता है
अपने देश,अपनी माँ , अपने बच्चो के लिए
वो शरहद पे लड़ने चला जाता है |
उसके झोले में रखा हुआ सामान ना जाने उसे क्यों चिडाता है
तू एक फौजी है तुझे अब जंग में जाना है
वो उसे हर पल ये बताता है |
उसके बच्चो का चहेरा अचानक उसके सामने आ जाता है
पोंछ के आँखों के आंसू वो उस जीप में बैठ जाता है |
पापा कब आओगे घर उसके कानो में ये आवाज सी गूंजती है
कुछ सोच के बीच बीच में उसकी आँखे मुंद जाती है
कुछ बोले इससे पहले उसकी आवाज रुंध जाती है

उसकी आवाज रुंध जाती है ..........